आपको कह दे बेवकूफ तो गुस्सा आना तो लाजमी है लेकिन
 आपको जानकर हैरत होगी कि झारखंड के गिरिडीह में बेवकूफ नाम से एक नही कई 
होटल खोले गये हैं। यहां सबसे पहला बेवकूफ होटल 70 के दशक में खुला था। 
आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों पड़ा इसका नाम बेवकूफ।दरअसल
 यहां गोपीराम नाम का एक व्यक्ति था उसने फुटपाथ पर एक होटल खोला था। यहां 
वे मात्र चालीस पैसे में ग्राहकों को दाल, रोट, चावल सब्जी खिलाया करते थे।
 उस समय गोपीराम के इस होटल के बारे में कोई नही जानता था। 
कचहरी के समीप होने के कारण दोपहर में वहां खाना खाने वालों की भीड़ लग जाती थी और इस मौके का फायदा उठाकर बहुत से लोग खाना खाकर बिना पैसे दिए ही खिसक जाते थे और लोग बाहर जाकर गोपीराम का मजाक बनाते थे कि वो तो बेवकूफ है लोगों से पैसे ही नही ले पाता।
गोपीराम को जब ये बातें पता चली तो उसने अपने होटल के बाहर ‘बेवकूफ होटल’ का साइनबोर्ड लगा दिया। इस अजीब नाम को देखकर लोग वहां खिंचे चले आते थे और धीरे-धीरे ये होटल वहां प्रसिद्ध हो गया। वहां अब ये एक ब्रांड बन गया है लोग अपने होटलों का नाम भी इसी से ही मिलता-जुलता रख रहे हैं।
कचहरी के समीप होने के कारण दोपहर में वहां खाना खाने वालों की भीड़ लग जाती थी और इस मौके का फायदा उठाकर बहुत से लोग खाना खाकर बिना पैसे दिए ही खिसक जाते थे और लोग बाहर जाकर गोपीराम का मजाक बनाते थे कि वो तो बेवकूफ है लोगों से पैसे ही नही ले पाता।
गोपीराम को जब ये बातें पता चली तो उसने अपने होटल के बाहर ‘बेवकूफ होटल’ का साइनबोर्ड लगा दिया। इस अजीब नाम को देखकर लोग वहां खिंचे चले आते थे और धीरे-धीरे ये होटल वहां प्रसिद्ध हो गया। वहां अब ये एक ब्रांड बन गया है लोग अपने होटलों का नाम भी इसी से ही मिलता-जुलता रख रहे हैं।

 


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